जलवायु की चुनौतियों का सामना करने हेतु विश्व् की अंतरिक्ष एजेंसियां एक जुट होम / अभिलेखागार / जलवायु की चुनौतियों का सामना करने हेतु विश्व् की अंतरिक्ष एजेंसियां एक जुट
जून 03, 2016 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा फ्रांसीसी एजेंसी (सी.एन.ई.एस.) के प्रोत्साहन में, पहली बार 60 से भी अधिक देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों ने मानव-प्रेरित हरित गृह गैस उत्सर्जन का मानीटरन करने हेतु अपने उपग्रह उपयोग करने और अपनी-अपनी कार्य-पद्धति तथा आकड़ों का समन्वयन करने पर सहमत हुए। इस संदर्भ में पिछले वर्ष दिसंबर में आयोजित सी.ओ.पी.21 जलवायु सम्मेलन जागरूकता लाया। उपग्रहों के बिना, वैश्विक गर्मी (ग्लोबल वार्मिंग) की यथार्थता पहचानी न जाती और तदुपरांत 22 अप्रैल, 2016 को न्यू यार्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बने ऐतिहासिक करार पर हस्ताक्षर न हो पाते। आज मानीटर किए जा रहे 50 अत्यावश्यक जलवायु परिवर्तनों में से 26 – जिनमें समुद्र स्तर में वृद्धि, समुद्री हिम का विस्तार, तथा वायुमंडल की सभी परतों में हरित गृह गेस संकेंद्रण – का मापन केवल अंतरिक्ष से ही किया जा सकता है। सभी राष्ट्र ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर रहें हैं – इस बात की जांच करने की क्षमता में पेरिस करार का प्रभावी कार्यान्वयन निहित है। केवल उपग्रह ही यह कर सकते हैं। 03 अप्रैल, 2016 को इसरो तथा सी.एन.ई.एस. द्वारा ‘नई दिल्ली विज्ञप्ति’ जो 16 मई, 2016 से प्रवृत्त हुई, के जरिए अपने भू प्रेक्षण उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों को केंद्रित करने हेतु एक ‘स्वतंत्र, अंतर-राष्ट्रीय प्रणाली’ स्थापित करने का निर्णय लिया। अब, लक्ष्य यह होगा कि इन उपग्रह आंकड़े का अंतर-अंशांकन किया जाए ताकि उन्हें मिलाकर समय के साथ उनकी तुलना की जा सके। अर्थात्, ‘बृहत् अंतरिक्ष आंकड़े’ को निकटता से समन्वित कर सुगमता से अभिगम्य बनाया जाए। अध्यक्ष, इसरो श्री ए.एस. किरण कुमार ने कहा कि ‘जलवायु परिवर्तन के मानीटरन हेतु अंतरिक्ष संबंधी सूचना का उपयोग करने में सभी अंतरिक्ष एजेंसियों की एकमत से सहायता करने की सहमति अभिभूत करने वाली है’। आगे उन्होंने कहा ‘भू प्रेक्षण उपग्रह वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जलवायु प्रणाली के मापन प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण माध्यम प्रदान करता है। इसरो समकालिक एवं भावी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में विषयवस्तु घटक उपग्रह श्रृंखला के जरिए उन्नत मार्गों के साथ भू प्रेक्षण आंकड़ों की निरंतरता के लिए प्रतिबद्ध है। इसरो उन्नत उपकरणों के साथ विश्व जलवायु प्रेक्षणों के लिए संयुक्त मिशन की प्राप्ति में सी.एन.ई.एस., जाक्सा तथा नासा के साथ भी कार्यरत है।’ सी.एन.ई.एस. के अध्यक्ष जीन-ईव्स ली गाल ने कहा, ‘यह ऐतिहासिक घटना है जो अंतरिक्ष क्षेत्र से और आगे तक जाती है और इस प्रकार की सफलता का एक सटीक उदाहरण है, जिसे केवल अंतर-राष्ट्रीय सहयोग से ही प्राप्त किया जा सकता है।’ आगे उन्होंने कहा, ’60 देशों से अधिक की अंतरिक्ष एजेंसियों की सहमति से, जिसमें अंतरिक्ष शक्ति के अगुआ भी शामिल हैं’ अब, अंतर-राष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय तथा वैज्ञानिकों के पास मानवजाति तथा पृथ्वी के हितार्थ अपनी प्रतिभा, बुद्धि तथा कार्य करने की इच्छा को मूर्त रूप देने के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध होंगे।